आसनसोल, पश्चिम बंगाल:
शनिवार को आसनसोल के रविंद्र भवन में आयोजित हुआ SUCI (कम्युनिस्ट) के संस्थापक नेता शिवदास घोष का 50वां स्मरण दिवस।
यह अवसर केवल एक श्रद्धांजलि सभा नहीं था, बल्कि एक क्रांतिकारी विचारों की पुनर्पुष्टि भी बन गया।
सैकड़ों कार्यकर्ता, युवा, महिलाएं और पार्टी समर्थक इस आयोजन में शामिल हुए।
🔴 क्रांति और विचारों की मशाल आज भी जल रही है:
वक्ताओं ने शिवदास घोष को एक निर्भीक समाजवादी, मजदूर हितैषी और वंचितों की आवाज़ के रूप में याद किया।
उन्होंने बताया कि घोष न केवल एक राजनीतिक नेता थे, बल्कि एक दर्शनशास्त्री, मार्गदर्शक और क्रांतिकारी विचारधारा के प्रतीक भी थे।
✊ समाजवादी संकल्पों का दोहराव:
इस अवसर पर SUCI (C) नेताओं ने सामाजिक अन्याय,
पूंजीवादी शोषण के खिलाफ संघर्ष और एक समानतावादी समाज की स्थापना के लिए
अपने संघर्ष के संकल्प को दोहराया।
उन्होंने कहा कि
“शिवदास घोष का सपना था एक ऐसा भारत जहाँ शोषण न हो,
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार सबके लिए हो।”
🕯️ श्रद्धांजलि सभा में भावनात्मक क्षण:
रविंद्र भवन में आयोजित कार्यक्रम में घोष के जीवन पर आधारित दस्तावेजी फिल्म,
उनके भाषणों के अंश और संघर्ष की झलकियाँ प्रस्तुत की गईं।
कार्यकर्ताओं की आँखों में आभार और गर्व के आंसू थे।
📚 युवाओं को प्रेरणा देने वाला कार्यक्रम:
विशेष रूप से बड़ी संख्या में छात्रों और युवाओं ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
उन्हें घोष के विचारों से जोड़ने के लिए पुस्तक वितरण,
विचार गोष्ठी, और आर्ट गैलरी का आयोजन भी किया गया।
✅ निष्कर्ष:
50 साल बाद भी शिवदास घोष का आदर्श और विचारधारा न केवल जीवित है,
बल्कि एक मजबूत आंदोलन का रूप ले चुकी है।
उनकी पुण्यतिथि पर आयोजित यह श्रद्धांजलि समारोह
समाज के बदलाव की चिंगारी को फिर से प्रज्वलित कर गया।
“घोष के विचारों से ही मिलेगा जनआंदोलन को मार्ग” – इस विश्वास के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।