चुरुलिया, पश्चिम बर्दवान ||
नजरुल तीर्थ जैसे सांस्कृतिक धरोहर तक जाने वाला चुरुलिया गांव आज खुद बदहाल सड़कों का शिकार है। 24 घंटे भारी वाहनों की बेरोकटोक आवाजाही, सड़क मरम्मत में प्रशासन की उदासीनता और आए दिन हो रही दुर्घटनाओं ने आखिरकार स्थानीय लोगों को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया।
सोमवार सुबह चुरुलिया गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने सड़क पर बैठकर प्रशासन के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का कहना है कि गांव की सड़कों पर ओवरलोडेड ट्रक और डंपर दिन-रात दौड़ रहे हैं, जिससे गड्ढों से भरी सड़क अब “मौत का जाल” बन चुकी है।
✊ “जब तक सड़कों का समाधान नहीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा”
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि जब तक सड़क की मरम्मत शुरू नहीं होती, प्रदर्शन जारी रहेगा। गांववासियों ने यह भी बताया कि स्कूल जाने वाले बच्चे, वृद्ध और बीमार लोग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। एंबुलेंस भी इस रास्ते से नहीं गुजर पाती।
🛣️ नजरुल तीर्थ जाने वाला मार्ग बना जोखिम भरा
गौरतलब है कि चुरुलिया गांव ही वह ऐतिहासिक स्थान है जहाँ कवि गुरु काज़ी नजरुल इस्लाम का जन्म हुआ था और यहीं स्थित है ‘नजरुल तीर्थ’। लेकिन अफसोस की बात है कि इतनी महत्वपूर्ण धरोहर तक जाने वाला मार्ग खुद प्रशासनिक लापरवाही का शिकार है।
📢 स्थानीय नेताओं और अधिकारियों को चेतावनी
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर प्रशासन ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो वे जिला मुख्यालय का घेराव करेंगे। उन्होंने मांग की कि सड़क पर ओवरलोड वाहनों की आवाजाही तत्काल रोकी जाए और गुणवत्ता वाली मरम्मत जल्द शुरू की जाए।