बांकुड़ा, पश्चिम बंगाल
बांकुड़ा जिले के कई गांव इन दिनों मक्खियों के आतंक से बेहाल हैं। हालात ऐसे हैं कि लोग दिन-रात मच्छरदानी के भीतर रहने को मजबूर हैं। खाना बनाना हो या खाना खाना—हर काम अब मच्छरदानी के अंदर ही होता है। बीमारियों का डर इतना गहरा है कि लोग अपने बच्चों को घर से बाहर नहीं निकलने दे रहे।
🔴 हैचरियों से निकल रहीं हैं ‘बीमारियां उड़ाती मक्खियां’
काशिबेदिया और उसके आस-पास के गांवों—तेघरी, बाघजुड़ी, जगन्नाथपुर, दलदली, पड़्याशोल, बेलिया आदि—में मक्खियों की भरमार के पीछे जिम्मेदार मानी जा रही हैं वहां की निजी मत्स्य हैचरियाँ। यहां से हर दिन हजारों मक्खियां निकलती हैं, जो पूरे क्षेत्र में फैलकर आंत्रशोथ, डायरिया जैसे रोग फैला रही हैं।
🛑 “घर में रहना मुमकिन नहीं, खाना भी दूषित हो रहा है”
ग्रामीणों का कहना है:
“खाने में मक्खियां गिर जाती हैं। बच्चों की पढ़ाई ठप है। पूरा गांव जैसे कैद में है।”
लोगों ने दरवाजों पर भी मच्छरदानी टांग दी है, ताकि मक्खियों का प्रवेश रोका जा सके।
✊ प्रदर्शन के बाद भी कार्रवाई शून्य
करीब एक महीने पहले ग्रामीणों ने 60 नंबर राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर विरोध जताया था। प्रशासन और हैचरी संचालकों ने उस वक्त कार्रवाई का वादा किया था। लेकिन एक महीना बीत गया, ना कोई दवा छिड़की गई, ना कोई निरीक्षण हुआ।
सोमवार को फिर ग्रामीणों ने हैचरी के सामने प्रदर्शन किया और चेतावनी दी—
“अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो हमें मक्खियों के डर से गांव खाली करना पड़ेगा।”
🌧️ बारिश बनी और समस्या, हैचरी संचालकों का तर्क
हैचरी संचालकों का कहना है कि वे मक्खियों पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लगातार बारिश के कारण दिक्कतें बढ़ गई हैं। हालांकि, स्थानीय लोग अब ‘सूखे वादों’ पर भरोसा नहीं कर रहे।
❓ सवाल यही है:
क्या प्रशासन तब जागेगा जब बीमारियां जान लेने लगेंगी?