📍आसनसोल/चित्तरंजन |
इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच आसनसोल और चित्तरंजन के दो शोधार्थी उस संकटग्रस्त क्षेत्र में फंसे हुए हैं। आसनसोल के डिपोपाड़ा निवासी डॉ. अबीर मुखोपाध्याय और चित्तरंजन के एक अन्य युवक जो शोधकार्य के उद्देश्य से इज़राइल गए थे, वर्तमान हालात के कारण वापसी के लिए जूझ रहे हैं। उनके परिजनों की रातों की नींद उड़ी हुई है।
🆘 मेयर और चेयरमैन ने उठाई आवाज़, केंद्र सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए आसनसोल नगर निगम के मेयर बिधान उपाध्याय ने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर दोनों नागरिकों को जल्द और सुरक्षित भारत वापस लाने की मांग की है। साथ ही, निगम चेयरमैन अमरनाथ चट्टोपाध्याय को जैसे ही यह सूचना डिपोपाड़ा स्थित मुखोपाध्याय परिवार से मिली, उन्होंने तुरंत इसे जिला प्रशासन और मेयर तक पहुँचाया।
मेयर उपाध्याय ने कहा, “यह मानवीय संकट है। हम केंद्र सरकार से लगातार संपर्क में हैं और हरसंभव कोशिश कर रहे हैं कि हमारे शहर के बेटे जल्द सुरक्षित लौटें।”
😨 परिजनों की बेचैनी बढ़ी, घर में पसरा सन्नाटा
डॉ. अबीर के परिजन बेहद परेशान हैं। परिवार के एक सदस्य ने कहा, “हर पल डर लगता है। हम टीवी और सोशल मीडिया से चिपके रहते हैं, हर खबर चिंता बढ़ा देती है। सरकार से यही उम्मीद है कि उन्हें जल्द वापस लाया जाए।”
चित्तरंजन के युवक के परिजन भी लगातार अपडेट्स पाने की कोशिश में हैं। दोनों परिवारों ने स्थानीय प्रशासन और सांसदों से भी संपर्क साधा है।
📞 विदेश मंत्रालय ने जारी की हेल्पलाइन, दूतावास निगरानी में
इज़राइल में फंसे भारतीयों की मदद के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय ने विशेष हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं और सभी को सतर्क रहने की सलाह दी है। तेल अवीव स्थित भारतीय दूतावास लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
हालांकि, अब तक विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है कि फंसे हुए भारतीयों को निकालने की कोई विशेष फ्लाइट या मिशन चलाया जाएगा या नहीं।
📌 जानें मामला क्यों है अहम:
- इज़राइल-ईरान में युद्ध जैसे हालात
- सैकड़ों भारतीय नागरिकों की जान खतरे में
- आसनसोल और चित्तरंजन के दो शोधार्थी सीधे संकट में
- स्थानीय प्रशासन ने दिखाया त्वरित सक्रियता
- केंद्र सरकार पर अब कार्रवाई का दबाव
🔚 निष्कर्ष:
डॉ. अबीर मुखोपाध्याय और चित्तरंजन के युवक सिर्फ दो नाम नहीं, बल्कि सैकड़ों परिवारों की चिंताओं का प्रतीक हैं जो विदेशों में रह रहे अपने अपनों को लेकर हर पल डर में जी रहे हैं। मेयर, चेयरमैन और स्थानीय प्रशासन की सक्रियता सराहनीय है, लेकिन अब ज़रूरत है केंद्र सरकार की त्वरित कार्रवाई की, ताकि ये युवा सुरक्षित घर लौट सकें।