फुटपाथ से हटे, रोजगार से भी हटा दिए गए!
आसनसोल नगर निगम के वर्षों पुराने आश्वासन को याद दिलाते हुए मंगलवार को दर्जनों फुटपाथी दुकानदारों (हॉकरों) ने सेंट जोसेफ स्कूल के सामने पुराने ठिकाने पर पहुँचकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। उनके मुताबिक, उन्हें हटाने के समय वादा किया गया था कि वैकल्पिक पुनर्वास किया जाएगा, लेकिन आज तक वह वादा अधूरा है।
🔍 अब हॉकरों का आरोप क्या है?
हॉकरों का दावा है कि जिस जगह से उन्हें हटाया गया था, अब वह ज़मीन ‘आसनसोल नर्सरी’ नामक संस्था को चुपचाप दे दी गई है।
👉 “यह सिर्फ़ पुनर्वास का उल्लंघन नहीं, बल्कि सीधा भ्रष्टाचार का मामला है।”
👉 “नगर निगम के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से यह हुआ है।”
👉 “हमने कई बार प्रशासन से संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।” – प्रदर्शनकारी हॉकर
🤝 तृणमूल श्रमिक नेता भी उतरे समर्थन में
तृणमूल श्रमिक नेता राजू अहलूवालिया ने भी प्रदर्शनकारियों का समर्थन करते हुए कहा:
🗣️ “यह केवल फुटपाथियों का हक नहीं छीना गया, बल्कि जनता की जमीन को एक निजी संस्था को बिना पारदर्शिता के सौंप दिया गया। इसमें भ्रष्टाचार की बू साफ़ आती है।”
🏛️ डिप्टी मेयर का जवाब: आरोप निराधार
जब इस मुद्दे पर डिप्टी मेयर वसीम उल हक से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा:
🛑 “ना किसी संस्था को स्थायी आवंटन हुआ है, ना कोई आर्थिक अनियमितता। वहां पार्क बनाने का काम हो रहा है, जिससे शहर की सुंदरता बढ़े।”
🛑 “हॉकरों को बीएनआर मोड़ पर दुकानें दी गई थीं, पर उन्होंने खुद इंकार कर दिया।”
🛑 “जैसे ही कोई उपयुक्त जगह मिलेगी, पुनर्वास किया जाएगा।”
📉 बीएनआर मोड़ बना मुद्दा
हॉकरों का कहना है कि बीएनआर मोड़ की दुकानें
🚫 ग्राहकों से दूर हैं
🚫 कारोबार लायक नहीं हैं
🚫 “हमारे पास विकल्प नहीं है, सिर्फ संघर्ष है।”
🧑🤝🧑 स्थानीय जनता की राय बंटी
🔸 कुछ लोग मानते हैं कि शहर की सुंदरता के लिए फुटपाथ से दुकानें हटाना सही था।
🔸 लेकिन अधिकतर लोगों का कहना है कि यदि हटाया गया तो पुनर्वास भी होना चाहिए, ताकि किसी की रोज़ी-रोटी न छिने।
📅 अब आगे क्या?
फुटपाथी दुकानदारों ने चेतावनी दी है कि
⚠️ यदि जल्द समाधान नहीं मिला, तो आंदोलन और तेज होगा।
⚠️ सड़कों से लेकर निगम कार्यालय तक विरोध की लहर चलेगी।