आसनसोल, 2 मई:
यह खबर पढ़कर हर आंख नम हो जाएगी। आसनसोल के उमारानी गड़ाई बालिका विद्यालय की छात्रा थैबी मुखोपाध्याय, जिसने माध्यमिक परीक्षा में 674 अंक प्राप्त कर स्कूल टॉपर का खिताब अपने नाम किया — लेकिन अफ़सोस कि इस सफलता को देखने के लिए वह अब इस दुनिया में नहीं रही।
📚 थैबी का सपना, पढ़ाई से था गहरा लगाव
बचपन से ही असाधारण छात्रा रही थैबी का सपना था कि वह बड़े होकर डॉक्टर बने और अपने पिता की तरह लोगों की सेवा करे। थैबी के पिता विवेकानंद मुखोपाध्याय पेशे से होम्योपैथी डॉक्टर हैं। परीक्षा के दौरान ही थैबी पीलिया (जॉन्डिस) से पीड़ित हो गई थी।
परिवार उसे इलाज के लिए दक्षिण भारत ले गया, लेकिन 16 मार्च को वह ज़िंदगी की जंग हार गई।
📝 परीक्षा दी बीमारी की हालत में, फिर भी हासिल की टॉप रैंक
थैबी ने बेहद कमजोर स्वास्थ्य के बावजूद पूरे साहस के साथ परीक्षा दी। डॉक्टरों की सलाह और शारीरिक तकलीफों को नजरअंदाज़ करते हुए वह हर पेपर में उपस्थित हुई — और अंत में जब परिणाम आया तो उसने स्कूल में पहला स्थान हासिल किया।
लेकिन अफ़सोस की बात यह रही कि यह ‘टॉपर’ अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए इस धरती पर नहीं रही।
💔 परिवार, स्कूल और समाज में शोक की लहर
थैबी की उपलब्धि सुनते ही परिवार, पड़ोस और स्कूल में एक बार फिर शोक की लहर दौड़ गई। स्कूल की शिक्षिका ने भावुक होकर कहा,
“हम सबको भरोसा था कि थैबी राज्य टॉपर बनेगी। आज उसका नाम सुनकर गर्व भी होता है और गहरा दुःख भी।”
पड़ोसी और सहपाठी भी थैबी के सरल स्वभाव और मेहनत को याद कर रहे हैं। किसी को यकीन नहीं हो रहा कि जो लड़की कल तक किताबों में खोई रहती थी, वह आज एक याद बनकर रह गई है।












