पश्चिम बंगाल विधानसभा में सोमवार को बड़ा राजनीतिक हंगामा देखने को मिला, जब आसनसोल दक्षिण से भाजपा विधायक और पश्चिम बंगाल भाजपा की राज्य सचिव अग्निमित्रा पॉल को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया। इस फैसले के बाद विपक्ष में आक्रोश फैल गया है और इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया जा रहा है।
सरस्वती पूजा के मुद्दे पर उठी आवाज, हुआ निलंबन

रिपोर्ट्स के अनुसार, अग्निमित्रा पॉल विधानसभा में सरस्वती पूजा से जुड़े एक मुद्दे पर चर्चा कर रही थीं और सरकार से इस पर जवाब मांग रही थीं। जैसे ही उन्होंने अपनी बात रखनी शुरू की, उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। यह कदम भाजपा विधायकों को रास नहीं आया और उन्होंने इस फैसले के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
“ममता सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है” – शुभेंदु अधिकारी
भाजपा के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने इस निलंबन को “असंवैधानिक” करार दिया और कहा कि ममता बनर्जी सरकार लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस की सरकार विपक्ष की आवाज़ को दबाने के लिए लगातार ऐसे फैसले ले रही है।

अग्निमित्रा पॉल का बड़ा बयान – “जनता की आवाज दबा नहीं सकती सरकार”
निलंबन के बाद, अग्निमित्रा पॉल ने ममता सरकार पर हमला बोलते हुए कहा,
“ममता बनर्जी लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन हम चुप बैठने वाले नहीं हैं। मैं आम जनता के अधिकारों के लिए लड़ती रहूंगी और मेरी आवाज को कोई दबा नहीं सकता।”
भाजपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश, सड़क पर उतरने की तैयारी

इस घटनाक्रम के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में भारी गुस्सा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पार्टी कार्यकर्ता जल्द ही विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं और इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
अब देखने वाली बात होगी कि इस राजनीतिक विवाद का पश्चिम बंगाल की सियासत पर क्या असर पड़ता है!