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अरुणाचल प्रदेश की पहली निजी कोयला खदान से विकास की राह होगी आसान

नई दिल्ली/अरुणाचल प्रदेश: भारत सरकार के कोयला मंत्रालय, कोयला नियंत्रक संगठन और गुवाहाटी स्थित कोल पल्ज प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक नवीन कुमार सिंघल के बीच अरुणाचल प्रदेश की नामचिक नामपुक कोयला खदान के लिए एस्क्रो समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। बीते शुक्रवार को नई दिल्ली में इस ऐतिहासिक समझौते के साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी तथा पहली कोयला खदान खोलने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया।

पूर्वोत्तर में औद्योगिक क्रांति का आगाज़

यह खदान अरुणाचल प्रदेश की पहली निजी कोयला खदान होगी और राज्य तथा आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण को गति देगी। इस समझौते को विकास के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है। उद्योगपति रतन शर्मा और नवीन सिंघल के संयुक्त उपक्रम कोल पल्ज प्राइवेट लिमिटेड इस खदान का वाणिज्यिक संचालन करेगी।

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औद्योगिकीकरण और रोजगार के नए अवसर

इस परियोजना से लॉजिस्टिक और इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में तेज़ी आएगी, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। नवीन सिंघल ने बताया कि कोयला खनन की प्रक्रिया शुरू होते ही पूर्वोत्तर में व्यवसायिक गतिविधियां तेज़ होंगी और सरकार को भी भारी राजस्व प्राप्त होगा।

कोयला उत्पादन से अवैध खनन पर लगेगी रोक

इस खदान से कोयला उत्पादन शुरू होने के बाद न केवल अवैध कोयला खनन पर रोक लगेगी, बल्कि पूर्वोत्तर की सीमेंट और कोक उद्योग को भी समर्थन मिलेगा। इससे क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी।

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15 मिलियन टन कोयला भंडार वाली खदान

नामचिक नामपुक कोयला खदान, जिसमें लगभग 15 मिलियन टन कोयला भंडार है, की नीलामी नवंबर 2022 में हुई थी। कोल पल्ज प्राइवेट लिमिटेड ने कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद इस खदान के लिए बोली जीतकर इसे अपने नाम किया।

केंद्र सरकार की बड़ी उपलब्धि

पिछले वर्ष केंद्र सरकार की पहल पर 144 निजी खदानों की बोली लगाई गई थी, जिनमें कोल पल्ज प्राइवेट लिमिटेड को सबसे पहले अनुमति मिली। यह केंद्र सरकार की वाणिज्यिक कोयला खनन नीति की बड़ी सफलता मानी जा रही है।

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