आसनसोल के रूपनारायणपुर फाड़ी अंतर्गत सालानपुर प्रखंड के देंदुआ ग्राम पंचायत के बराभुईं गांव के निवासी सुबल राय ( 29 ) की मौत को लेकर प्रशासन सकते में आ गया गया हैं l खबरों के अनुसार सुबल की मौत सिलिकोसिस बीमारी के कारण हुई थी l इसे लेकर विस्तृत खबर एक अखबार में बीते शनिवार को प्रकाशित होने के बाद मामला प्रकाश में आया और प्रशासन की तत्परता बढ़ गयी l खबर प्रकाशित होने के 48 घंटे के अंदर 23 दिसंबर सोमवार अपराह्न चार बजे पांच सदस्यीय मेडिकल टीम मृतक के आवास पर पहुंची और उसकी बीमारी से संबंधित सारे रिपोर्ट का निरीक्षण किया l टीम में जिला तपेदिक अधिकारी (डीटीओ) डॉ. अभिषेक राय, सालानपुर के प्रखंड स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी (बीएमओएच) डॉ. सुव्रत सीट, जिला तपेदिक सेंटर (डीटीसी) की चिकित्सा अधिकारी (एमओ) डॉ. स्वाति बनर्जी, वरिष्ठ इलाज सुपरवाइजर (एसटीएस) रथिन राय और स्थानीय आशा कर्मी लेखनी हांसदा शामिल थे. अधिकारियों ने मृतक के परिजनों को कहा कि इस मामले को लेकर छह और आठ जनवरी के बीच बोर्ड की बैठक होगी l जिसकी सूचना समय पर दी जाएगी l बोर्ड के समक्ष सुबल राय की बीमारी से जुड़ी सारे कागजात पेश करने होंगे l इस बीच सोमवार को ही मृतक के परिजनों ने सरकारी अस्पताल में सिलिकोसिस बीमारी का गलत इलाज के कारण मुआवजा मिलने में हो रही परेशानी का आरोप लगाकर अतिरिक्त जिलाधिकारी (जनरल) सुभाषिनी ई को ज्ञापन सौंपा l श्रीमती सुभाषिनी ने सकारात्मक आश्वासन दिया और कहा कि उस इलाके में जितने भी लोग तपेदिक से पीड़ित हैं सभी की सूची तैयार कर मामले की उचित जांच की जायेगी l

गौरतलब है सालानपुर प्रखंड इलाके में एक दर्जन से अधिक रैमिंगमास इंडस्ट्री (क्वार्ज पत्थरों को डस्ट करने का कारखाना) हैं l इनमें सैकड़ो श्रमिक कार्य करते हैं l आरोप है कि यहां कार्य करनेवाले श्रमिक सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं l जिसे लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में दो शिकायतें हुईं और दोनों मामलों को ही एनएचआरसी ने संज्ञान में लेते हुए मामला दर्ज किया l यहां मृतकों में सालानपुर प्रखंड के बराभुई गांव के निवासी जगन्नाथ राय ( 30 ) जिनकी मौत कुछ माह पहले हुई और सुबल राय हैं l जिनकी मौत पिछले शुक्रवार (20 दिसंबर) को हुई हैं l एनएचआरसी ने दोनों ही मामलों में जिलाधिकारी से रिपोर्ट की मांग की गई हैं l

आरोप हैं की सिलिकोसिस के बदले सरकारी अस्पताल में तपेदिक का गलत इलाज चलाया जा रहा हैं जिस कारण मरीजों की मौत वक़्त से पहले हो रही हैं l मृतक के परिजनों ने गलत इलाज के कारण हुई मौत से मुआवजा मिलने में परेशानी को लेकर सोमवार को अतिरिक्त जिलाधिकारी (जनरल) और जिला के मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा l जिसमें कहा गया है सुबल राय को सालानपुर ब्लॉक प्रायमरी हेल्थ सेंटर में 24 अप्रैल को खांसी के परीक्षण में तपेदिक की पुष्टि नहीं हुई, उनका तपेदिक का इलाज शुरू कर दिया गया l लंबे समय तक गलत उपचार के कारण सुबल की तबीयत काफी बिगड़ने लगी l वह सिलिकोसिस से दो साल बाद मरते, लेकिन गलत इलाज के कारण उनकी मौत पहले हो गयी l इस तरह ग्राम में ऐसे कई मरीज बताये जा रहें जिन्हे शायद सिलिकोसिस की बीमारी हो लेकिन तपेदिक का इलाज चलाया जा रहा हैं l
वो तो सुबल राय की मौत की खबर प्रकाशित हुई तो प्रशासन की हरकत तेज हो गयी l पांच सदस्यीय मेडिकल टीम ने मृतक के घर जाकर बीमारी से जुड़े सारे कागजता, एक्सरे रिपोर्ट की जांच की l बताया जा रहा हैं की अपोलो हॉस्पिटल चेन्नई के एक रिपोर्ट में सिलिकोसिस का जिक्र हुआ है l दुर्गापुर हेल्थवर्ल्ड में इलाज के दौरान हुई जांच रिपोर्ट में सिलिकोट्यूबरकुलोसिस का जिक्र देखते ही मेडिकल टीम के अधिकारियों चौंक गये l सुबल का सरकारी अस्पताल में तपेदिक का लंबे समय तक इलाज चला था l इस मामले को लेकर एनएचआरसी में शिकायत करने वाले अमरनाथ महतो ने कहा कि कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ित होने के पुष्टि होते ही उस व्यक्ति के पुनर्वास के लिए दो लाख रुपये तथा जीवित रहने तक राज्य सरकार द्वारा उसकी कंपनी से वेतन मुहैया करवाने और मौत के बाद उसके आश्रित को चार लाख रुपये भुगतान करने का प्रावधान है l जिसके कारण ही सिलिकोसिस बीमारी को उल्लेख चिकित्सक जल्दी नहीं करते हैं l आरोप है कि रैमिंगमास कारखाने में कार्य करने वाले सैकड़ो श्रमिक अबतक इस बीमारी की चपेट में आये हैं l सभी को तपेदिक ही बताया गया l उन्हें सिलिकोसिस का कोई मुआवजा नहीं मिला l