गौशाला पर घोटाले के आरोप बेबुनियाद, सचिव का सख्त जवाब।

बांकुड़ा: गौशाला के सचिव विकास जीवराजका ने गौशाला पर लग रहे घोटाले के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह सभी आरोप पूरी तरह से मनगढ़ंत और निराधार हैं। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति इन आरोपों को लगा रहा है, वह स्वयं 10 वर्षों तक गौशाला का सदस्य, कोषाध्यक्ष, या अध्यक्ष रहा है। अगर वास्तव में कोई घोटाला हुआ होता, तो वह उस समय चुप क्यों था? यह स्पष्ट है कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था।

गौशाला विरोधी गतिविधियों के कारण निष्कासन:
विकास जीवराजका ने बताया कि जिस व्यक्ति ने आरोप लगाए हैं, उसे गौशाला विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण गौशाला कमेटी से निष्कासित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि “गौशाला कमेटी ने महसूस किया कि यह व्यक्ति गौशाला के हित में नहीं है, इसलिए उसे निष्कासित करना पड़ा। आज उसका मकसद सिर्फ गौशाला को बदनाम करना और इसे बंद करवाना है।”

परिवारवाद के आरोप भी खारिज:
सचिव ने परिवारवाद के आरोपों को भी खारिज करते हुए कहा, “वर्तमान अध्यक्ष सहित कई पदाधिकारियों के परिवार का कोई भी सदस्य गौशाला का हिस्सा नहीं है। इसलिए परिवारवाद की बात यहां लागू नहीं होती। गौशाला एक सेवा का स्थान है और यहां गोवंशों की सेवा करने का काम पूरी ईमानदारी से किया जाता है।”

गौशाला में पारदर्शिता:
उन्होंने कहा कि गौशाला का कामकाज पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाता है और कोई भी व्यक्ति यहां आकर गोवंशों की सेवा और देखभाल के तरीके को देख सकता है। गौशाला हमेशा से सेवा का स्थान रहा है और रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि “हम हर वक्त बेहतर सेवाएं देने का प्रयास करते हैं।”

गौशाला बंद करने की साजिश का आरोप:
सचिव ने कहा, “यह सब आरोप सिर्फ गौशाला को बदनाम करने और इसे बंद करवाने के उद्देश्य से लगाए गए हैं। लेकिन समाज और समय इन निराधार बातों का जवाब जरूर देगा। जब तक शरीर में जान है, गौशाला सेवा कार्य ऐसे ही चलता रहेगा।”

ghanty

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