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मेघालय से गायब हुआ 4 हजार टन कोयला, शिल्पांचल में खपाये जाने की आशंका!

आसनसोल : मेघालय से गायब हुए वैध 4 हजार टन कोयले के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। आशंका जताई जा रही है कि कोयले की तस्करी कर इसे शिल्पांचल में खपाया गया है। पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है। शिल्पांचल के कुछ सफेदपोश इस जांच की जद में पड़ने वाले है। केंद्रीय गृह मंत्रालय भी मामले में कड़ी नजर बनाए हुए है।

बता दें कि मामला फिलहाल मेघालय हाईकोर्ट में भी लंबित है। मेघालय के सरकारी रिकॉर्ड से 4000 टन से ज्यादा कोयला गायब होने पर मेघालय हाईकोर्ट द्वारा मेघालय सरकार को कड़ी फटकार लगाई गई। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है, जिनकी निगरानी में कोयला गायब हुआ है।

दावा है कि कोयले का अवैध ट्रांसपोर्टेशन हुआ है। मेघालय हाईकोर्ट ने अपनी सुनवाई में राज्य को कोयले की अवैध आवाजाही के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों और अधिकारियों की पहचान करने का निर्देश दिया। जस्टिस एचएस थांगखियू की अध्यक्षता वाली बेंच ने इतनी बड़ी मात्रा में कोयले के गायब होने की वजह बनी खामियों पर कड़ी आपत्ति भी जताई। पूरे मामले में मेघालय सरकार की प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में है। अब इस मामले ने नया मोड़ ले लिया है। मामले की जांच से जुड़े आधिकारिक सूत्रों का दावा है कि तस्करी कर 4 हजार टन कोयले को शिल्पांचल में खपाया गया है। अधिकारियों को इसके सबूत भी मिल चुके हैं। अब यह पता लगाया जा रहा है कि किस डंकी रूट का इस्तेमाल कर कोयले को शिल्पांचल लाया गया? किसके शह पर पूरा खेल हुआ? इस सिंडिकेट में कौन-कौन शामिल हैं? मेघालय से कोयला लाकर शिल्पांचल में कहां डंप कर आगे क्या किया गया? इन सब सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए जांच टीम पूरी मुस्तैदी संग जुटी हुई है। सूत्रों का दावा है कि शिल्पांचल के एक बड़े सफेदपोश का नाम इसमें आ रहा है, जिसके निर्देश पर 4 हजार टन कोयले को माफिया सिंडिकेट के पुराने गुर्गों द्वारा यहां खपाया गया है। स्थानीय सूत्र बताते हैं कि फिलहाल शिल्पांचल में कोयला तस्करी चोरी-छिपे ही सही लेकिन बेधड़क जारी है, इसका मुख्य सेंटर फिलहाल पांडेश्वर बना हुआ है। हालांकि कुल्टी, बाराबनी, जामुड़िया, रानीगंज, अंडाल सहित शिल्पांचल के तमाम पुराने अड्डों से यह गोरखधंधा धड़ल्ले से जारी है। सत्तारूढ़ पार्टी का इसे खुला समर्थन भी मिल रहा है। पुलिस-प्रशासन को इसकी भनक नहीं लगने का दावा किया जा रहा है, जिसे लेकर विपक्षी राजनीतिक पार्टियों द्वारा पुलिस-प्रशासन की कड़ी आलोचना भी की जा रही है।

बीपी कटेकी समिति कर रही निगरानी

सनद रहे कि मेघालय से गायब हुए 4 हजार टन कोयला मामले में रिटायर्ड जस्टिस बीपी कटेकी समिति की तरफ से पेश 31वीं अंतरिम रिपोर्ट राज्य में कोयला खनन और परिवहन की निगरानी कर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, गायब हुए 4,000 टन कोयले का पहले ही आधिकारिक तौर पर सर्वेक्षण और रिकॉर्ड किया जा चुका है। इससे अवैध ट्रांसपोर्टेशन के बारे में गंभीर सवाल उठते हैं। इसके लिए मेघालय लंबे समय से बदनाम रहा है।

ghanty

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